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Thursday 3 October 2013

Why Girl Every Time says; No No No

लडकिया बात बात पार "ना" "ना" क्यू करती हे, इन्कार क्यू करती हे, मना क्यू कर देती हे ????

ध्यान रखना भगवानने जब औरत को बनाया तो उसने जो पहली चीज उसमे डाली वो थी "ना"
औरत "ना" से शुरू होती हे और "हा" पार खत्म हो जाती हे लडकी और "ना" का बहोत पुराना रिश्ता हे.... भारत के कयी हिस्सो मे लडकी को एक शब्द कहा जाता हे "छोकरी", "छो" का मतलब होता हे "नाही", "ना", "इन्कार कर देना", और "करी" का मतलब होता हे "कर देणे वाली".... तो छोकरी का मतलब हुवा "ना करणे वाली", "मना करनेवाली".... जैसे कि हम "छी" शब्द का इस्तमाल करते हे, "छी छोडदो इसे", "छी फेक दो इसे" मतलब "मना करते हे".....कुछ भाषा शास्त्री, विद्वान यहा तक मानते हे कि "करी" शब्द का मतलब होता हे कि "खानेवाली", याने कि "इन्कार खा कर अपना पेट भरणेवाली छोकरी".

तो अगर आप ये जनना चाहते हो कि लडकी इन्कार क्यू करती हे तो पहले इन ३ शब्द का अर्थ समझो. 
पहला शब्द हे, अधिकार, दुसरा शब्द हे जरुरत, और तिसरा शब्द हे मजबुरी. 
ना केहना औरत का हक्क भी हे, उसकी जरुरत भी हे, और उसकी मजबुरी भी हे.

सबसे पहले "हक्क" को समझो, ना कर देना, मना कर देना, इन्कार कर देना ये औरत का हक्क हे. उसका अधिकार हे, वो जब चाहे किसीको भी अचानक इन्कार कर सक्ती हे...... जैसे पंचीयोन्को उडणे का अधिकार होता हे, फुलोंको खिलने का अधिकार होता हे, खुशबू को फैलने का हक होता हे, उस्सी तरह औरत को "ना" कहने कि आझादी होती हे...... जैसे कि औरत जब "ना" केहती हे उस्सी वक्त मर्द को पिछे हट जाना चाहिये. तो औरत के इन्कार का सम्मान करो. 

भगवान ने जब औरत को बनाया तो सबसे पहले उसने उसमे "ना" को डाला, औरत हर चीज को इन्कार से हि शुरू करती हे. ये उसका defence mechanism हे, वो हर चीज को खतरे कि तोर पार हि देखती हे.. इसीलिये वो हर चीज को पहली बार मना कर देती हे, फिर आराम से सोचती हे कि इसे अपनाया जाये कि ना अपनाया जाये.... लडकी जब ना करती हे तब उसका सिर्फ यही मतलब होता हे कि "अभी नही"..... "ना" केह कर औरत खुद को सुरक्षित महसूस करती हे, .....और हर मर्द का फर्ज होता हे कि औरत को सुरक्षित महसूस करवायॆ. 

जब कोई लडकी "ना" करती हे तोह उसका यौवन और खिलता हे, उसका आकर्षण, उसकी कशिश और बढती हे, इसीलिये तो ये लडकिया खूब नखरे दिखती रेहती हे....., लडको को खूब सताती रेहती हे..., मर्द को पिछा करणे का मजा आता हे..... "ना" "ना" करती हुई लडकीहि सही मायीनो मे लडकी लगती हे..... इन्कार करना औरत कि खुबसुरती हे, उसका तेजस्व हे, उसकी गरिमा हे, उसका सौंदर्य हे, उसका नारीत्व हे....... कुछ लडकिया आगे आ कर लडको मे दिलचस्पी दिखती रेहती हे, या खुद उसे जाकर propose कर देती हे, इसकी सजा उनको मिलती हे, बडी जल्दी मिलती हे, वो लडका उन्हे ऐसे रुलाता हे कि बरसो तक उस दर्द से बाहर नही निकल पाती.........मै ये नही कह रहा हु कि लडकियो को खुद जाकर propose नही करना चाहिये, अगर आप confident हे, situation को handle कर लेंगी तो जरूर जाईये, आपकी आझादी हे.... लेकिन, अपने risk पार जाऒ... मै मना कर राहा हु.... आरॆ भगवान ने लडकियो को लडको का पिछा करणे के लिये नही बनाया, अगर वो करेगी तो वो पचतायेगि......its unnatural........ कुदरत के खिलाफ मत जाव.... लडको को अपने पीछे भगाऒ, ये तुम्हारा हक हे. 

दुसरा शब्द हे "जरुरत" - "ना" केहना औरत कि "जरुरत" हे...... जैसे कि प्यासे को पाणी कि जरुरत होती हे, जैसे किसी मूर्ती को चेतना कि जरुरत होती हे, बस वैसे हि "ना" केहना औरत कि जरुरत हे..... बिना ना के औरत संपूर्ण होती हि नही...... ना केहना औरत कि आत्मा कि खुराक हे, इन्कार औरत के प्राणो का भोजन हे........ औरत को समझना हे तो बस इतना समजलो कि जब तक वो बहोत सारी चीझो को इन्कार न करले तब तक उस बेचारी को हा केहने का मजा हि नही आता........... जब कोई लडका प्रोपोज करता हे तो वो आगे से इन्कार कर देती हे, ज्यादातर मामलो मे वो एस्सिलिये इन्कार करती हे क्यो कि वो "ना" केहने का रस पीना चाहती हे, न केहने का सुख भोगना चाहती हे. ये उसकी जरुरत हे......... वहा लडका ये सोचकर परेशान हो जाता हे कि ये शायद मुझसे प्यार नही करती, या फिर इसे मेरी शकल अच्छी नही लगी...........याद रखना लडकीयो को शकलो से कुछ लेना देना नही होता.... एक बात को अच्छी तरह से समजलो कि जिस प्रकार मर्द औरत को देखता हे उस प्रकार औरत मर्द को नही देखती............ औरत के लिये मर्द परछायिनो जैसे होते हे....... सब एक जैसे...... जब वो चून लेती हे तो ऐसे हे चून लेती हे बेवजह,...... और जब मना कर देती हे तो भी बेवजह.........इसीलिये जब तुम लडके लोग पुच्ते हो कि "इन्कार क्यू किया?" तो उसके पास कोई जवाब नही होता......... लडकीयो को boyfriend चुनाना शॉपिंग करणे जैसा होता हे.............. जब तक वो हजारो चीजो को reject न कर दे तब तक उसे खरिदने का मजा हि नही आता....... औरत पहले पेट भर कर चीजो को "ना" "ना" करती हे, "ये नही अच्छा", "वो नही अच्छा", "कुछ अलागसा डिजाईन दिखावो ना"................ ढेरो चीजो को इन्कार करणे के बाद उसका कुछ खरिद्ने का मूड आता हे............. बॉयफ्रेंड के मामले मे भी वो ऐसा हि करती हे............ शुरू शुरू मे तोह ८ १० लडको को ऐसे हि "ना" कर देती हे, बेवजह............. फिर अचानक ११ वे लडके को "हा" कर देती हे............ पहले १० लडको को ये नही पता होता कि उन्हे "ना क्यू किया"........ और ११ वे लडके को ये नही पता होता कि उसे "हा क्यू किया"........ ये अलग बात हे कि ११ व लडका अपने आपको playboy समजणे लगता हे, और दुसरो को सलाह देत फिरता हे...

तिसरा शब्द हे "मजबुरी" - मना करणा औरत कि मजबुरी हे........... लडकी "ना" करती नही हे, उसकी "ना" निकल जाती हे, क्युकी पिचले कयी सालो से लडको को "ना" करणे कि practice करती आ राही होती हे.......... लड्किया जब घर मे अकेली होती हे, तो यही सब कुछ कर रही होती हे..........., आईने के सामने जाकर खडी हो जाती हे, दोनो हाथ कमर पर रखकर गुस्सेवाला चेहरा बनाकर वो आईने से केह्ती हे "जी नही, मे आपसे प्यार नही करती "... किसी वॉशिंग पावडर बेचानेवाले सेल्समन से तंग आई हुई किसी महाराणी जैसे केह्ती हे "Look Mister मुझे आपमे कोई interest नही हे" ............. ये केहने से पहले वो हजारो बार ये आपने आप से केह लिया होता हे कि "मेरा already boyfriend हे"............ कयी लड्किया थप्पड मारनेकी भी प्रेक्टिस कर रही होती हे................ लडको को अंदाजा भी नही होता कि लडकी को "ना" केहने मे कितना मजा आ रहा होता हे, जैसे बरसो से प्यासे इन्सान को ठंडे नीले पानी का झरणा मिला हो.......... वो तो कयी सालो से तयारी मे लगी रेहती हे कि , जब कोई प्रोपोज करणे आयेगा तो "मे उसे ये वाला डियलोग मारुंगी" "वो डायलोग मारुंगी", "मै ऐसे केह दुंगी", "वैसे केह दुंगी", "ऐसे गर्दन हिलाउन्गी कि मेरे बाल हवा मे उड जायेंगे और चुटकी बजाकर मे ये वाला वाक्य बोल दुंगी"....... वो पुरे मजे लेती रेहती हे..........जैसे कि किसी बंदर के हात मे हार्मोनियम पकडा दो वो पुरे मजे लेता हे उसका, चारो तरफ से बजाता हे .. जहा से नही बजाना चाहिये वहासे भी बजाता हे ... बस उसी तरह जब किसी लडकी के हाथ मे आशिक आ जाना चाहिये....... फिर वो पुरे मजे लेती हे उसके... कयी बार आपने देखा होगा कि प्रोपोज करणे आये किसी लडके पर तो शेर कि तरह टुट पडती हे...वो उसे डाटति हे, फ़टकारति हे,.. ऐसी बाते केह्ती हे जिसका उस situation से कोई लेना देना नही होता .... लडके का हाल देख के उसे राजस्व सुख मिलता हे.... जो मजा लडको को गंदी बाते करणे मे आता हे वही मजा लडकी को अपने पिछे रोता हुवा लडका देखणे मे आता हे, जो उनके एक SMS का इंतजार पुरी रात जाग करता हे............... औरत अपनी आत्मा कि भूक के हाथो मजबूर होती हे......... फेसबुक पे तो उनके क्या केहने.. ....वहा तो वो खूब मजे लेती रेहती हे.......... ढेर सारे लडको को ना करती रेहती हे, ignor करती हे... एक एक रेप्लाय के लिये तडपाति हे.. ये औरत का सुख हे ..........

कयी बार तो ऐसा होता हे कि कोई लडका अगर उसमे दिलचस्पी ना दिखा राहा हो या प्रोपोज न कर रहा हो तो लडकी खुद आगे बढकर एक मासूम सा शिकार ढुण्ढ लेती हे............. फिर उस लडके के साथ जरुरत से ज्यादा चीपकती हे........, उसके बाल सावार्ती हे, उसके कंधे से धूल जाडती हे... उसे हस्ते हस्ते केह्ती हे "आज तो तुम बहोत handsome लग रहे हो"......... रात मे उसके साथ बाते करती हे....... उसकी care करती हे....... जाहीर सी बात हे लडका इसे प्यार हि समजेगा.. ...... और लडकी भी जानती होती हे कि लडका इसे प्यार समजेगा.......लड्किया बेवकूफ नही होती, वो सब जानती हे........ और जब वो आगेसे पुछ्ता हे कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी..... तो वो ऐसे बोल देती हे "क्याआ ? Oh maay God!!!".. "मैने तो तुम्हे उस नझर से देखा भी नही", "मै तो तुम्हे अच्छा दोस्त मानती थी" "I am Sorry, I respect your feelings पर मै तुम्हे प्यार नही करती"..................... तो इतनी मेहनत करणे के बाद लडकी को "ना" केहने का सुख मिलता हे...

मै दोहरा दु, कि लड्कियो का काम हि हे "ना" केहना.. सताना... जो लडकी सताती नही मानलो कि वो लडकी हि नही... 
ये लड्कियो कि शराब हे, ये ऐसी हि enjoy करती हे..... उन्हे एन्जोय कर लेणे दो... उन्हे नाराज ना करो.. 

आप पुंचोगे कि क्यो ?

वो मै आपको next post मे बताउन्गा...
 
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